Monday, January 31, 2011

सस्वर क्रांति का आग़ाज़ अब हो जाने दो

बहुत जाग चूका झूठा दंभ , इसे सो जाने दो,
सस्वर क्रांति का आग़ाज़ अब हो जाने दो.

 बहुत लुट चूका चैन अमन ,थक गया जीवन
एक नवीन युग आने दो,अब अमन चैन छाने दो. ,

कह रही विगत  विभावरी कुछ संदेशा,
आनेवाली रश्मि को ये संदेशा लाने दो .

क्या देखा था मिलकर सपना ऐसे जीर्ण भारत का ?
आगे आओ डट जाओ ,इसे फिरसे तरुणी कहलाने  दो .

बहुत जाग चूका झूठा दंभ , इसे सो जाने दो,
सस्वर क्रांति का आग़ाज़ अब हो जाने दो.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "

3 comments:

अरुण चन्द्र रॉय said...

bahut badhiya gazal.. achha likhti hain aap

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) said...

aabhar .............aapko

Madan Mohan Saxena said...

कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने.बहुत खूब,बेह्तरीन अभिव्यक्ति