Thursday, February 4, 2010

मुझे गर्व है की मै एक बेटी की मां हूँ

समाज चाहे वो मध्यम वर्ग का हो या उच्च वर्ग का हर किसी के मन में एक बेटे की चाह जगती है, बेटे को जन्म देने में वो
मां भी खुद को काफी भाग्यशाली समझती है की मै एक बेटे की माँ हूँ ,जबकि खुद वो एक बेटी थी कभी
और अपने लड़की होने का गौरव भी वो खो देती है बेटे और बेटी में अंतर ला कर ,मैंने तो औरतों को भी कहते
सुना है बेटी है ,यदि बेटा होता तो अच्छा था, पहली संतान बेटी हो गयी तो बेटे की चाह में कितने बेटी संतान
को पैदा होने से पहले ही मार दिया जाता है और न मारा तो एक बेटे की चाह में कई बेटियां कर लेते हैं खामियाजा, सही पालन पोषण बच्चों को नहीं मिल पाता, बेटा
एक हो या दो उसे मनुहार भी बेटियों से ज्यादा देते है, बेटियां गुण से भरी होती हैं पर कोई मूल्य नहीं देते
बेटा औगुन से भरा हो पर बेटा है न ....ये गलत धारणाएं आखिर कब तक लोगों के man में रहेगी .......
मैंने इस धारणा का खुलकर विरोध किया,मेरी भी एक ही संतान है वो भी बेटी, आज मेरी बेटी 10
साल की है,मेरे घरवालों ने ही मेरे माता पिता ससुराल पक्ष के लोग सभी कहते रहे एक बेटा हो जाने दो पर
मैंने अपनी जिद ठान ली की बस एक ही रहेगी, बेटी है पर बेटा से कम नहीं और मेरी जिद से मैंने आज ये
साबित कर दिखलाया की कोई भी गलत धारणा का विरोध एक नारी ही कर सकती है हाँ कुछ लोगों की अपवादी
बातें मैंने भी सुनी जैसे बेटा एक कर लेती तो जीवन सुखी होता क्यों बेटी से जीवन सुखी नहीं होता क्या ?
बेटियां तो मायका और ससुराल दोनों घरों की मर्यादा के साथ साथ अपनी हर जिम्मेवारी को बखूबी
निभाती है मुझे गर्व है की मैंने एक गलत धारणा को बदलने में अपना धेर्य नहीं खोया .औरतें ताना सुनकर अपने विचार बदल देती हैं लग जाती हैं बेटे संतान की तैयारी में , पर मेरे विचार से मेरे आस पास के लोग प्रेरित होकर आज ये धारणाएं बदलने लगे हैं वो बेटी संतान में विश्वास कर रहे, संतान यदि बेटी हुई तो आगे की सोंच नहीं कर रहे एक बेटी में ही काफी लोग खुश हैं ,अगर ये धारणा नहीं बदलेगा तो बेटा,बेटी की चाहत में कितने बेटियां पैदा होने से पहले ही मारी जाती रहेंगी,और इसकी काफी हद तक जिम्मेवार औरत है ....
मुझे गर्व है की मै एक बेटी की मां हूँ ........