tag:blogger.com,1999:blog-58361451059135490302023-11-15T11:07:42.387-08:00मेरे मन की उलझनमै रजनी मल्होत्रा विवाह के बाद नैय्यर झारखण्ड के बोकारो थर्मल से. मेरे मन की उलझन मेरे ब्लॉग का नाम है..........
इसमें मेरे लेख,कहानियों के संग्रह, हैं.मै एक संगणक विज्ञान की शिक्षिका हूँ.
एक लेखिका, जिसके मन में रही एक विद्रोह की भावना हर उस बुराई के लिए जो सामाजिक,राजनीतिक तौर से व्याप्त है.सहानुभूति उस भावना को जो पल,पल जनहित के लिए मन में पल रहा........हर अच्छे विचार को मेरे लेखनी का नमन ....डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) http://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-5836145105913549030.post-66034997142791229882016-01-08T06:08:00.002-08:002016-01-08T06:09:30.775-08:00“ झारखण्ड की काली दाल “<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;" />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">झारखण्ड की राजनीति पूरे देश की राजनीति में छाये भ्रष्टाचार,</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">भाई-भतीजावाद और किसी भी तरह से, किसी भी हद तक जाकर पैसा कमाने की</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">प्रवृत्ति को अभिव्यक्त करती है। साथ ही यह भारत की भ्रष्ट पूंजीवादी</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">राजनीति के उस रोग को भी दिखलाती है जिसका ठीक होना अब किसी भी तरह सम्भव</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">नहीं है। झारखण्ड प्राकृतिक सम्पदा खास तौर पर खनिज सम्पदा से सम्पन्न</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">राज्य है। कोयला, लोहा जैसे बहुमूल्य खनिजों को लेकर इस वक्त झारखण्ड में</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">विभिन्न देशी-विदेशी पूंजीपतियों के बीच तीखी होड़ मची हुयी है।</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">आदिवासियों को निर्ममतापूर्वक उनकी जमीन से बेदखल किया जा रहा है।</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">झारखण्ड की मुंडा सरकार ने तथाकथित स्थिर शासन में पूंजीपतियों का हित</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">साधने व जनता का क्रूर दमन करने की एक से बढ़कर एक मिसालें कायम की ।</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">राजनैतिक दलों के नेता झारखण्ड के खनिज सम्पदा की बंदरबांट में बराबर के</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">हिस्सेदार रहे । मधुकोड़ा जो कि एक समय झारखण्ड का मुख्यमंत्री था ने</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">बेशुमार दौलत ऐसे ही इकट्ठा की थी। शिबू सोरेन तो अपनी पक्षधरता की कीमत</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा से वसूलते ही रहे हैं। इस तरह झारखण्ड का पूरा</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">राजनैतिक परिदृश्य भारतीय पूंजीवादी राजनीति के सबसे घृणित चेहरे को अपने</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">जन्म से ही व्यक्त करता रहा है। झारखण्ड के पास विकास के लिए सारे</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं, फिर भी पिछले दस सालों से यूपीए सरकार कि</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">गलत नीतियों और कोयला खदानों के गलत आबंटन की वजह से राज्य को इसका हक़</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">नहीं मिला, जिसकी वजह से यहां औद्योगिक विकास नहीं हो सका.</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;"> आयकर अधिकारियों के अनुसार इस मामले में अब तक 3,000 करोड़ रुपये के</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">अवैध लेनदेन का पता चला है।इसके अलावा राज्य में 110 करोड़ रुपये के</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">तारकोल घोटाला और 300-400 रुपये का ग्रामीण विद्युतीकरण घोटाला शामिल है।</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">राज्य में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के कम से कम आठ अधिकारियों के</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले चल रहे | झारखण्ड देश का पहला राज्य है जहां</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">इतनी बड़ी संख्या में नेता भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त पाए गए हैं।</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">अब तक राज्य में छ: पूर्व मंत्रियों सहित एक पूर्व मुख्यमंत्री</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">भ्रष्टाचार के मामले में फंस चुके हैं।खनिज संपदा ही नहीं घोटालों के लिए</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">भी उपजाऊ है झारखण्ड</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">झारखण्ड में अब तक के हुए घोटाले से पता चलता है दाल में कुछ काला</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">नही “ “ “झारखण्ड की पूरी दाल ही काली है “</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">झारखण्ड की राजनीति पर नजर डालें तो समझ में आता है कि अब तक जितनी</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">सरकारें बनीं वे सभी स्वयं में असुरक्षित रहीं।जब झारखण्ड अस्तित्व में</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">आया तो बाबूलाल मरांडी प्रथम मुख्यमंत्री बने, बहुमत नहीं था, पर, कुछ</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">विधायकों का समर्थन लिया और चल पड़े। नई सरकार नया उत्साह, पर जिन</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">परेशानियों का सामना मरांडी को करना पड़ा उससे अर्जुन मुंडा</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">भी अछूते नहीं रहे | प्रारम्भ से ही लंगड़ी लग गई थी। ग्रहण पीछा</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">नहीं छोड़ रहा था।उन्होंने जैसे-तैसे सन् 2003-05 तक सरकार चलाई। चुनाव</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">घोषित हुआ। भाजपा को तीस सीटें मिलीं। कांग्रेस को मात्र नौ और राजद को</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">छह। भाजपा और जदयू मिलाकर कुल 36 सीटें हुइं। ऐसे में मानो निर्दलियों की</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">लाटरी लग गई हो। वे चांदी की गद्दी बिछाने और सोने के तकिये पर सोने की</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">जुगाड़ में लग गए। इधर तत्कालीन राज्यपाल ने सरकार बनाने से पहले राज्य</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">में राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर दी। उन्होंने सबसे बड़ी पार्टी भाजपा को</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">सरकार बनाने के लिए नहीं बुलाया, बल्कि झामुमो के प्रमुख शिबू सोरेन को</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">बुलाकर संविधान को धता बता दी। इसके विरोध में भाजपा विधायकों ने</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">राष्ट्रपति भवन के समक्ष परेड की। सोरेन विश्वास मत प्राप्त नहीं कर सके।</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">अंतत: अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री बने। आखिर कांग्रेस भाजपा को कब तक सरकार</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">में देखती। उसे अर्जुन मुण्डा की सरकार तनिक भी नहीं सुहा रही थी। अर्जुन</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">मुण्डा की सरकार को कांग्रेस की केन्द्र सरकार ने सदैव गिराने की कोशिश</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">की।</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">अंतत: अर्जुन मुंडा की सरकार गिराई गई। राष्ट्रपति शासन लगा और कुछ दिनों</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">बाद एक निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा को कांग्रेस, राजद और झामुमो ने समर्थन</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">दिया। मधु कोड़ा मुख्यमंत्री कठपुतली की तरह इशारे पर नाचे। सबसे बड़ी</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">पार्टी विपक्ष में और एक निर्दलीय, कुछ निर्दलियों के साथ मिलकर और कुछ</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">दलों का समर्थन लेकर झारखण्ड का मुख्यमंत्री बन गया। यह अजूबा रहा।</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;"> मधु कोड़ा बिना आधार के मुख्यमंत्री बन गए। झारखण्ड का भाग्य फूट गया।</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">कांग्रेस एक कमजोर व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाकर अपने अनेक हित साधे।</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">इतने किस्से मधु कोड़ा के मुख्यमंत्री बनते ही शुरू हुए, लगने लगा कि मधु</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">कोड़ा मुख्यमंत्री कम , दुधारू गाय अधिक हैं। जो मधु कोड़ा को समर्थन दे</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">रहे थे, वे कांग्रेस, राजद या झामुमो पूरी तरह मौन थे। कोड़ा से विकास की</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">क्या उम्मीद करते। कांग्रेस को कोई चिंता नहीं हुई। विरोध के स्वर फूटे।</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">कांग्रेस ने कहा चलो सोरेन को बना दो। आरोपों में डूबे सोरेन की तो पहले</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">भी इच्छा पूरी नहीं हो पाई थी। वे अनिश्चित और व्याकुल थे। कांग्रेस ने</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">यहां भी चाल चली। सोरेन के कंधे पर बंदूक रख दी। सोरेन का सपना पूरा हुआ।</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">वे जानते थे कि वे सालभर में क्या कर सकते हैं, पर हाय री कुर्सी! मरता</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">क्या न करता। वे पांच-छ: माह तो रह ही सकते थे, वे रहे। संविधान के</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">अनुसार उन्हें चुनाव लड़ना था, लड़े। एक निर्दलीय राजा पीटर से वे पिट</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">गए। यहां यह कहना समीचीन होगा कि सोरेन पिटे या जानबूझकर पिटवाए गए, उनसे</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">बेहतर और कौन जान सकता था।</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">एक मुख्यमंत्री निर्दलीय से चित्त हो जाए, यह किसी ने नहीं सोचा था। लगा</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">दिया गया राष्ट्रपति शासन।संवैधानिक उपचारों की धज्जी उड़ा राष्ट्रपति</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">शासन चलता रहा। इस बीच देश में लोकसभा के चुनाव हुए। कांग्रेस जो सोच रही</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">थी, उसे वैसी सफलता झारखण्ड में नहीं मिली। झारखण्ड में पासा उल्टा पड़ा।</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">भाजपा को आठ लोकसभा ( एक) सीटों पर और कांग्रेस को मात्र एक सीट पर सफलता</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">मिली।</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">झारखंड की राजनीति किसी फ़िल्मी ड्रामे की तरह हो गयी, जहां हर घंटे कोई</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">नया ट्विस्ट सामने आता है. कभी निर्दलियों का लोचा तो कभी विपक्ष का</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">पेंच तो कभी कानून का डर कभी JMM के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी और</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">जामा से विधायक सीता सोरेन अपहरण के मामले में कई महीनों से फरार तो</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">कहीं</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">JMM के दूसरे विधायक नलिन सोरेन भी करोड़ों के बीज घोटाले में फरार कोयला</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;"> माफियाओं के साथ मिलकर</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;"> करोड़ो की भू सम्पदा का घोटाला</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">झारखंड के विकास को लेकर जो सपना जनता ने देखा था वो अभी तक पूरा</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">नहीं हो पाया है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि पिछले 14 सालों में इस</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं होने से यहां अन्य दलों को सौदेबाजी</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">करने का मौका मिला और इसी वजह से जब जिस दल को मौका मिला, तब उसने</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">सौदेबाजी के बल पर अपनी सरकार बनायी. इस मामले में कांग्रेस के पूर्व</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव का नाम पहले आता है झारखण्ड में</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">सौदेबाजी की राजनीति उसी समय शुरू हो गयी थी जब राव ने अपनी सरकार बचने</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">के लिए यहां के राजनेताओं से सौदेबाजी की थी. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">झारखंड में जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन वाली नई सरकार का गठन तो हो गया,</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">लेकिन गठन के बाद राज्य की राजनीति शतरंज की बिसात बन गयी , इसमें पक्ष</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">और विपक्ष दोनों एक-दूसरे को मात देने की तिकड़म में लगे रहे .</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">भाजपा नेता रघुवर दास ने चौदह वर्षां के झारखंड के इतिहास में दसवें</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की और अहम बात यह है कि वह राज्य के</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री बने हैं।रघुवर दास से पहले राज्य में कुल</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">नौ मुख्यमंत्री बन चुके हैं और यहां तीन बार राष्ट्रपति शासन भी लग चुका</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">है। हालांकि इस बार भाजपा और आज्सू गठबंधन को पहली बार राज्य में पूर्ण</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">बहुमत की सरकार बनाने का अवसर मिला है जिससे आम जनता को स्थिर सरकार चलने</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">की आशा बंधी है।15 नवंबर, 2000 को राज्य के गठन के तुरंत बाद भाजपा के</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">बाबूलाल मरांडी को राज्य का पहला मुख्यमंत्री बनाया गया था। वह 17 मार्च,</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">2003 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे जब पार्टी के अंदरूनी विद्रोह और जदयू</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">के कथित दबाव के चलते राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ और 18 मार्च, 2003 को</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">भाजपा के अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री बनाया गया। वह अपने पहले कार्यकाल</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">में दो मार्च, 2005 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे।</span><br />
<br style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;" />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">इसके बाद दो मार्च, 2005 को ही झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख शिबू</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">सोरेन तीसरे मुख्यमंत्री बने लेकिन उनकी सरकार सिर्फ दस दिनों की रही।</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">उन्हें 12 मार्च, 2005 को सत्ता से हटना पड़ा और एक बार फिर 12 मार्च को</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">ही अर्जुन मुंडा ने चौथे मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की सत्ता संभाली</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">लेकिन यह 14 सितंबर, 2006 तक ही उनके हाथ रही। 14 सितंबर 2006 को</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">मंत्रिमंडल में शामिल निर्दलीय मंत्रियों ने मुंडा का तख्ता पलट दिया। 14</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">सितंबर 2006 को नए समीकरण के साथ निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा झारखंड के</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">मुख्यमंत्री की गद्दी पर काबिज हुए।</span><br />
<br style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;" />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">कोड़ा ने मुख्यमंत्री के रूप में 709 दिन कामकाज किया, लेकिन यह सरकार भी</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी। पद से हटने के बाद कोड़ा पर भ्रष्टाचार</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">समेत कई मामले दर्ज हो गए।</span><br />
<br style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;" />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">27 अगस्त 2008 को शिबू सोरेन मुख्यमंत्री बने। शिबू के लिए डगर आसान</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">साबित नहीं हो सकी। विधायक बनने के लिए उन्हें उपचुनाव लड़ना पड़ा।</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">दिसंबर में तमाड़ विधानसभा उपचुनाव में शिबू हार गए और मात्र 114 दिनों</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">बाद ही उन्हें मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा। वैकल्पिक सरकार नहीं</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">बनने से राज्य में 19 जनवरी 2009 से 29 दिसंबर 2009 तक राष्ट्रपति शासन</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">लगाया गया।</span><br />
<br style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;" />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">राज्य में मध्यावधि चुनाव हुए और फिर मतदाताओं ने खंडित जनादेश दिया।</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">भाजपा और झामुमो को 18-18 सीटें मिलीं। दोनों दल बड़ी पार्टियों के रूप</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">में सामने आई।</span><br />
<br style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;" />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">इसके बाद भाजपा और झामुमो ने मिलकर सरकार बनाई और तीसरी बार 30 दिसंबर</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">2009 को शिबू मुख्यमंत्री बने। लोकसभा में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">(संप्रग) के पक्ष में वोट देने के कारण 152 दिनों बाद ही 31 मई 2010 को</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">उन्हें फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी।</span><br />
<br style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;" />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">किसी दल को बहुमत नहीं रहने के कारण फिर से एक जून 2010 को राज्य में</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। 11 सितंबर 2010 को झामुमो और ऑल झारखंड</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">स्टूडेंटस यूनियन (आजसु) के साथ मिलकर भाजपा ने सरकार बनाई और अर्जुन</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">मुंडा मुख्यमंत्री बने। सात जनवरी 2013 को झामुमो के समर्थन वापस लेने के</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">बाद मुंडा को आठ जनवरी को इस्तीफा देना पड़ा।झारखण्ड के भाग्य की विडंबना</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">चौदह वर्षों में तीन राष्ट्रपति शासन और दस मुख्यमंत्री</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">श्रीबाबू लाल मरांडी कार्यकाल</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">:15नवंबर, 2000</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">से 17 मार्च ,2003</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">श्रीअर्जुनमुण्डा कार्यकाल:18मार्च,2003</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">से 01 मार्च, 2005</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">श्री शिबू सोरेन</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">कार्यकाल:02 मार्च, 2005</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">से 11 मार्च, 2005</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">श्री अर्जुन मुण्डा</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">कार्यकाल:12 मार्च, 2005</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">से 14 श्री मधु कोड़ा</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">कार्यकाल:18 सितम्बर, 2006</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">से 24 अगस्त, 2008 सितम्बर, 2006</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">श्री शिबू सोरेन</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">कार्यकाल:27 अगस्त,2008</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">से 12 जनवरी, 2009</span><br />
<br style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;" />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">श्री शिबू सोरेन</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">कार्यकाल:30 दिसम्बर,2009</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">से 31 मई, 2010</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">श्री अर्जुन मुण्डा</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">कार्यकाल:11 सितम्बर, 2010</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">से 18.01.2013 तक</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">श्री हेमंत सोरेन</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">कार्यकाल:13 जुलाई, 2013 से 23.12.2014</span><br />
<br style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;" />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">श्री रघुवर दास</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">कार्यकाल:28 दिसम्बर, 2014 से अब तक</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">झारखण्ड अपने जन्म से लेकर अभी तक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। पहली</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">बार चुनाव में स्थिर सरकार का मुद्दा बन पाया है। लोगों के मन में यह बात</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">घर कर गई है कि अगर एक गठबंधन की सरकार झारखण्ड में नहीं बनी और निर्दलीय</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">पुन: हावी रहे तो झारखण्ड को पुन: अस्थिरता की त्रासदी झेलनी होगी।</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">अस्थिरता की त्रासदी से उबरना ही झारखण्ड की प्राथमिकता है।</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">ये झारखण्ड के भाग्य की विडंबना है चौदह वर्षों में तीन राष्ट्रपति</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">शासन और दस मुख्यमंत्री बदले गए |</span><br />
<br style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;" />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">(सन्दर्भ ) साभार गूगल , समाचार पत्र , अन्य पत्र -पत्रिकाएं |</span><br />
<br style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;" />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">"रजनी मल्होत्रा नैय्यर "</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">बोकारो थर्मल ( झारखण्ड )</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;"><br /></span></div>
डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) http://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5836145105913549030.post-11642828420789951832011-02-02T23:35:00.000-08:002011-02-02T23:35:14.702-08:00अपनी नाकामी से , ना हार कर<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">चलने का हौसला ,<br />
रुके हुए कदम को,<br />
ख़ुद ब ख़ुद, आगे बढ़ा देता है.<br />
अपनी नाकामी से ,<br />
ना हार कर,<br />
अपनी कमी को ,<br />
सुधारनेवाले ,<br />
जीवन में<br />
जरुर सफल होते है|</div>डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) http://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.com22tag:blogger.com,1999:blog-5836145105913549030.post-82769011652788891742011-01-31T04:37:00.000-08:002011-01-31T04:37:32.400-08:00सस्वर क्रांति का आग़ाज़ अब हो जाने दो<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">बहुत जाग चूका झूठा दंभ , इसे सो जाने दो,<br />
सस्वर क्रांति का आग़ाज़ अब हो जाने दो.<br />
<br />
बहुत लुट चूका चैन अमन ,थक गया जीवन<br />
एक नवीन युग आने दो,अब अमन चैन छाने दो. ,<br />
<br />
कह रही विगत विभावरी कुछ संदेशा,<br />
आनेवाली रश्मि को ये संदेशा लाने दो .<br />
<br />
क्या देखा था मिलकर सपना ऐसे जीर्ण भारत का ?<br />
आगे आओ डट जाओ ,इसे फिरसे तरुणी कहलाने दो .<br />
<br />
बहुत जाग चूका झूठा दंभ , इसे सो जाने दो,<br />
सस्वर क्रांति का आग़ाज़ अब हो जाने दो.<br />
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "</div>डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) http://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-5836145105913549030.post-62173261294933599332010-12-01T04:54:00.000-08:002010-12-01T04:54:01.009-08:00आज धीरे से पांव उतारा हैआज धीरे से पांव उतारा है ,<br />
राजनीति के दलदल में,<br />
ये सोंच कर ,<br />
शायद कर सकूँ ,<br />
एक सवच्छ समाज का निर्माण<br />
विचलित सा है ,<br />
अडिग सा रहनेवाला मन ,<br />
कमी आ गयी है ,<br />
अटूट मनोबल में. <br />
हर झोका पवन का <br />
जो बिखरती थी अपनत्व सा ,<br />
आज बंट कर रह गयी ,<br />
जातिवाद के बंधन में.<br />
अब सच्चाई के साथ ,<br />
नहीं लड़ा करते लोग,<br />
ये राजनीति ,<br />
बाज़ार हो गयी है ,<br />
नोटों के बोल का,<br />
जो जितना बोल लगाया ,<br />
खरीद ले गया वोटों को .<br />
कितना योग्य है,<br />
ईमानदारी से भरा है ,<br />
कोई फर्क नहीं , <br />
बस वो ही पलड़ा भारी है,<br />
जो उपर है.चांदी के खनक से.<br />
आज मानवता कों,<br />
यूँ बिकता देख कर ,<br />
मुझे मानव जाति में होना ,<br />
भारी लग रहा लोगों का.<br />
यही चलता रहा तो क्या,<br />
निर्माण कर पाएंगे ??<br />
हम एक स्वच्छ समाज का . <br />
फिर भी मन मेरा ,<br />
अभी तक हारा नहीं,<br />
अब तक उम्मीद है मुझे ,<br />
शायद बदल पाऊं इस भ्रष्ट समाज कों .<br />
<br />
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) http://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-5836145105913549030.post-42266710265771725442010-09-18T09:01:00.000-07:002010-09-18T19:26:28.825-07:00व्यंग्य लेख ( फिर आया वोटों का मौसम ) गीतों के साथव्यंग्य लेख ( फिर आया वोटों का मौसम ) गीतों के साथ . <br />
<br />
जब नेता जी भारी मतों से जीतकर कुर्सी पायें तो फूले नहीं समाये. <br />
उनके मन में गुदगुदी कुछ इस तरह हुई ................<br />
<br />
" आज मैं ऊपर,आसमां नीचे,<br />
आज मैं आगे ज़माना है पीछे,<br />
टेल मी ओ खुदा अब मै क्या करूँ ?????<br />
लेके मर्सिडीस या पैदल ही चलूँ ????""<br />
<br />
जब वो लोकप्रिय होगये ,सत्ता में अपनी साख बना चुके तो उनके कई विरोधी भी पैदा हो जाते है. फिर अपने दबदबे से जितने भी उनके नीचे काम करने वाले पुलिसकर्मी , अथवा कोई भी मुलाजिम सबको अपनी औकात दिखाते व् बताते रहते हैं .कुछ इस तरह .........<br />
<br />
" यहाँ के हम सिकन्दर ,<br />
चाहें तो सबको रख लें अपनी जेब के अंदर,<br />
अरे हमसे बचके रहना ओ खुद्दारों ......."<br />
<br />
मंत्री जी के कार्यकाल में उनका ज्यादा समय भाषणों और दौरों में गुजरता है,कुछ वादे भी करते हैं जनता से , चाहे वो झूठी ही क्यों ना हो . ???<br />
और फिर शुरू होता है उनका भाषण का सिलसिला संबोधित करते हैं जनता को ........<br />
<br />
"तुम मुझे वोट दो मैं तुम्हें गरीबी दूंगा"<br />
<br />
और जनता के हित में मिले रुपयों को वो अपने ही अरमान खरीदने में लूटा देते हैं .<br />
और सोंचते हैं ...........कुछ इस तरह .......<br />
"कुर्सी दिलानेवाले क्यों तुने कुर्सी बनाई,<br />
तुने काहे को कुर्सी दिलाई,<br />
तुने काहे को कुर्सी दिलाई,<br />
कुर्सी दिलानेवाले क्यों तुने कुर्सी बनाई."<br />
<br />
वो जनता को लूटना खसोटना शुरू करते हैं, कभी मह्नगाई बढ़ाकर, तो कभी ये टैक्स तो कभी वो टैक्स लगाकर ........<br />
धीरे धीरे यूँ ही साल गुजरने लगे, फिर आया वोटों का मौसम .<br />
नेता जी पहुंचे फिर............कुछ इस तरह .....<br />
<br />
" वोटों के मौसम ने मुझको बुलाया,<br />
मैं लूटेरा फिर वोट लूटने आया,<br />
झूठे वादों से जनता को बहलाया,<br />
झूठे वादों से जनता को बहलाया,<br />
मैं लूटेरा फिर वोट लूटने आया."<br />
<br />
जनता भी कहाँ बेवकूफ रही समझदार हो गयी,उसने भी नेता जी के सुर में सुर मिला दिया....<br />
कुछ इस तरह ..........<br />
<br />
"आइये आपका इंतज़ार था,<br />
देर लगी आने में तुमको ,<br />
सुक्र है फिर भी आये तो ."<br />
<br />
और नेता जी जनता के इस आवभगत से खुश होकर चल गए,अपनी जीत की तैयारी में.<br />
फिर आया परिणाम घोषणा का समय.<br />
अब नेता जी का हाल कुछ इस तरह था ( कुर्सी छूटने के बाद)<br />
<br />
" क्यों बेईमानी की राह में मशहूर हो गए,<br />
इतने छले आवाम को कि गद्दी से दूर हो गए,<br />
ऐसा नहीं कि हमको कोई भी ख़ुशी नहीं,<br />
लेकिन ये ज़िन्दगी तो कोई ज़िन्दगी नहीं,<br />
पाया कुर्सी तो ऐसा लगा सबकुछ पा लिया,<br />
बैंक बैलेंस, मोटर गाड़ी, प्रोपर्टी बना लिया,<br />
क्यों बेईमानी की राह में मशहूर हो गए,<br />
इतने छले आवाम को कि गद्दी से दूर हो गए.<br />
**********************<br />
आपसब के विचार कि प्रतीक्षा में .......<br />
<br />
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) http://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-5836145105913549030.post-87492307573164196712010-05-04T09:33:00.001-07:002010-05-04T09:33:41.531-07:00भ्रष्टाचार को कैसे समाप्त किया जाये .?<h3 class="smller"><br />
</h3>आज देश की चरमराती हालत हमें सोंचने पर मजबूर कर रहे भ्रष्टाचार को कैसे समाप्त किया जाये .??? <br />
क्या सविधान को कोई ऐसी कानून बनाना चाइये जो जनहित से सम्बंधित हो .<br />
क्या कारण है ( भ्रष्टाचार ) इसका ? .?जनता की गरीबी, जनता का अशिक्षित होना,<br />
शिक्षित होकर भी विवश होना या अपने ही हाथों चुने हुए नेताओं के द्वारा कठपुतली सा बना रहना <br />
आपके विचार सम्मान्निये हैं कृपया अपने विचार से इस उत्कंठा को और भी सहयोगी विचार दें ..डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) http://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-5836145105913549030.post-56042367253450114502010-03-07T09:03:00.000-08:002010-03-07T09:03:19.753-08:00महिला दिवस पर कुछ (महिला सशक्तिकरण की चुनौतियाँ)<h3 class="smller"> एक लेख.</h3><div class="para">महिलाओं के साथ सदियों से भेदभाव बरता गया.पुरुष प्रधान समाज ने प्रत्येक क्षेत्र में औरत को एक वस्तु के<br />
रूप में उपयोग किया, महिलाओं की भेदभाव की सिथिति लगभग पूरी दुनियां में रही,इस दिशा में सकारात्मक<br />
प्रयास भी किये गए, 8 मार्च 1975 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.<br />
भारत में २००१ को महिला सशक्तिकरण वर्ष के रूप में मनाया गया , तथा महिलाओं के कल्याण हेतु पहली बार<br />
राष्ट्रीय महिला उत्थान नीति बनाई गयी,जिसमे महिलाओं की सिक्षा,रोज़गार और सामाजिक सुरक्षा में सहभागिता<br />
को सुनिश्चित कराया गया.सामाजिक आर्थिक नीतियाँ बनाने के लिए महिलाओं को प्रेरित करना.महिलाओं<br />
पुरुषों को समाज में सामान भागीदारी निभाने हेतु प्रोत्साहित करना.बालिकाओं एवं महिलाओं के प्रति विविध<br />
अपराधों के रूप में व्याप्त असमानताओं को ख़त्म करना.बहुत सारी योजनाओ को भी सरकार ने महिलाओ की<br />
सिथिति को सुधारने के लिए गठित किये, जिनमे, इंदिरा महिला योजना, एक योजना १५ अगस्त २००१ को<br />
ऋण योजना शुरू की गयी जिसे १५-से १८ वर्षीय किशोरियों के लिए बनायीं गयी.<br />
<br />
७३ वे ७४ वे संविधान संशोधन द्वारा देशभर में ग्रामीण व् नगरीय पंचायतों के सभी स्तर पर महिलाओं हेतु एक<br />
तिहाई सीट आरक्षित की गयी.भारत सरकार ने वर्ष २००१ में राष्ट्रीय पुरस्कारों की स्थापना करते हुए महिलाओं को<br />
सशक्त बनाने हेतु भारतीय तलाक ( संसोधन)२००१ की पारित (१) महिलायों पर घरेलु हिंसा(निरोधक)<br />
अधिनियम २००१ (२)परित्यक्ताओं हेतु गुजारा भत्ता (संसोधन) अधिनियम २००१(२) बालिका अनिवार्य<br />
शिक्षा एवं कल्याण विधेयक २००१.उपरोक्त सरकारी सुविधाओं के बावजूद अपेक्षित लाभ<br />
नहीं मिल पाया है,अनेक जगह अनेक बढ़ाएं अभी भी मुंह बाये खड़ी हैं.प्रथमतया पुरुष वर्ग की प्रधानता समाज में<br />
आज भी बनी है,नारी का शोषण जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में परिवार,सम्पति,<br />
वर का चयन,खेल,शासकीय सेवा,शिखा,विज्ञापन,फिल्म,असंख्य कानून होने के बावजूद बने हैं.पर,<br />
कुछ वर्षों से महिलायों की रहन सहन के सामाजिक स्तर में काफी बदलाव आये हैं, वे अब हर क्षेत्र में अपने<br />
कदम आसानी से बढ़ाने लगी है,ये भी अपने जीवन में आज़ादी को मायने देती हैं यहाँ आज़ादी का मतलब है, पैसा,पॉवर,मन की आज़ादी, बेहतर जॉब.अगर अच्छी जॉब हो तो पैसा,पॉवर, और आज़ादी खुद ब खुद आ जाती है.<br />
आज भी महिलाओं के लिए उनका परिवार ही सबसे ज्यादा मायने रखता है,यह एक ऐसा ट्रेंड है जो कभी नहीं बदला,परिवार को एक सूत्र में पिरोनेवाली महिलाएं आज पुरुषों के साथ या उनसे आगे चल रही<br />
पर उनके लिए आज भी सबसे ज्यादा परिवार ही महत्व रखता है,महिलाएं हर क्षेत्र में आज अपनी सक्रिय<br />
भूमिका निभा रही हैं,अब उनकी आज़ादी पर पाबंदियां जैसे बंदिशें टूटने लगे हैं,जिसका सारा श्रेया खुद<br />
महिलाओं को जाता है...आप सभी महिलाओं को महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनायें हम महिलायें ऐसे ही<br />
आगे बढ़ते रहें.... </div>डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) http://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-5836145105913549030.post-14070466869079942962010-02-08T06:40:00.003-08:002010-02-08T06:40:16.524-08:00ये माँ तू कैसी है ?हम उम्र के किसी भी पड़ाव में हों,हमें कदम,कदम पर कुछ शरीरिक मानसिक कठिनाइयों का सामना करना ही पड़ता है,वैसे क्षण में यदि कुछ बहुत ज्यादा याद आता है तो वो है..... माँ का आँचल,म की स्नेहल गोद,माँ के प्रेम भरे बोल. माँ क्या है?तपती रेगिस्तान में पानी की फुहार जैसी,थके राही के तेज़ धूप में छायादार वृक्ष के जैसे. कहा भी जाता है----- मा ठंडियाँ छांवां ----- माँ ठंडी छाया के सामान है.जिनके सर पर माँ का साया हो वो तो बहुत किस्मत के धनी होते है, जिनके सर पे ये साया नहीं उनसा बदनसीब कोई नहीं... पर, कुछ बच्चे अपने पैरों पर खड़े होकर माता पिता से आँखें चुराने लगते हैं unhe सेवा, उनकी देखभाल उन्हें बोझ लगने लगती है..जबकि उन्हें अपना कर्तव्य पूरी निष्ठां से करने चाहिए.<br />
<br />
मैंने माँ का वर्णन कुछ इस तरह किया है..<br />
<br />
ए माँ तू कैसी है ?<br />
<br />
सागर में मोती जैसी है.नैनो में ज्योति जैसी है.<br />
नैनो से ज्योति खो जाये,जीवन अँधियारा हो जाये,<br />
वैसे ही तेरे खोने से,जीवन अँधियारा हो जाये.<br />
<br />
क्यों ममता में तेरे गहराई है ?<br />
किस मिटटी की रचना पाई है ?<br />
बच्चे तेरे जैसे भी ,सबको गले लगायी है.<br />
<br />
ए माँ तू कैसी है ?दीये की बाती जैसी है.<br />
जलकर दीये सा खुद,तम हमारा हर लेती है.<br />
<br />
बाती न हो दीये में तो,अन्धकार कौन हर पाए ?<br />
वैसे ही तेरे खोने से, जीवन अँधियारा हो जाये.<br />
<br />
ए माँ तू कैसी है ? कुम्हार के चाक जैसी है,<br />
गीली मिटटी तेरे बच्चे,संस्कार उन्हें भर देती है.<br />
<br />
ए चाक यदि ना मिल पाए,संस्कार कौन भर पायेगा ?<br />
कौन अपनी कलाओं से ये भांडे को गढ़ पायेगा ?<br />
जीवन कली तेरे होने से ही,सुगन्धित पुष्प बन पायेगा.<br />
<br />
ये माँ तू कैसी है ?प्रभु की पावन स्तुति है.<br />
पीर भरे क्षणों में, सच्ची सुख की अनुभूति है.<br />
<br />
कोई ढाल यदि खो जाये,खंज़र का वार ना सह पायें.<br />
वैसे ही तेरे खोने से जीवन अँधियारा हो जाये.<br />
<br />
ये माँ तू कैसी है ? सहनशील धरा जैसी है.अपकार धरा सहती है,<br />
फिर भी उफ़ ना कहती है.ये धरा यदि खो जाये,जीवन अँधियारा हो जाये.<br />
<br />
ये माँ तू कैसी है ?<br />
<br />
सबसे पावन,सबसे निर्मल ,तू गंगा के जैसी है.<br />
ममता से भरी मूरत है,तुझमे bhagvan की सूरत है.<br />
<br />
जो झुका इन चरणों में,स्वर्ग सा सुख पाया है |डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) http://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-5836145105913549030.post-33812216976668537912010-02-04T01:09:00.001-08:002010-02-04T01:09:12.512-08:00मुझे गर्व है की मै एक बेटी की मां हूँसमाज चाहे वो मध्यम वर्ग का हो या उच्च वर्ग का हर किसी के मन में एक बेटे की चाह जगती है, बेटे को जन्म देने में वो<br />
मां भी खुद को काफी भाग्यशाली समझती है की मै एक बेटे की माँ हूँ ,जबकि खुद वो एक बेटी थी कभी<br />
और अपने लड़की होने का गौरव भी वो खो देती है बेटे और बेटी में अंतर ला कर ,मैंने तो औरतों को भी कहते<br />
सुना है बेटी है ,यदि बेटा होता तो अच्छा था, पहली संतान बेटी हो गयी तो बेटे की चाह में कितने बेटी संतान<br />
को पैदा होने से पहले ही मार दिया जाता है और न मारा तो एक बेटे की चाह में कई बेटियां कर लेते हैं खामियाजा, सही पालन पोषण बच्चों को नहीं मिल पाता, बेटा<br />
एक हो या दो उसे मनुहार भी बेटियों से ज्यादा देते है, बेटियां गुण से भरी होती हैं पर कोई मूल्य नहीं देते<br />
बेटा औगुन से भरा हो पर बेटा है न ....ये गलत धारणाएं आखिर कब तक लोगों के man में रहेगी .......<br />
मैंने इस धारणा का खुलकर विरोध किया,मेरी भी एक ही संतान है वो भी बेटी, आज मेरी बेटी 10<br />
साल की है,मेरे घरवालों ने ही मेरे माता पिता ससुराल पक्ष के लोग सभी कहते रहे एक बेटा हो जाने दो पर<br />
मैंने अपनी जिद ठान ली की बस एक ही रहेगी, बेटी है पर बेटा से कम नहीं और मेरी जिद से मैंने आज ये<br />
साबित कर दिखलाया की कोई भी गलत धारणा का विरोध एक नारी ही कर सकती है हाँ कुछ लोगों की अपवादी<br />
बातें मैंने भी सुनी जैसे बेटा एक कर लेती तो जीवन सुखी होता क्यों बेटी से जीवन सुखी नहीं होता क्या ?<br />
बेटियां तो मायका और ससुराल दोनों घरों की मर्यादा के साथ साथ अपनी हर जिम्मेवारी को बखूबी<br />
निभाती है मुझे गर्व है की मैंने एक गलत धारणा को बदलने में अपना धेर्य नहीं खोया .औरतें ताना सुनकर अपने विचार बदल देती हैं लग जाती हैं बेटे संतान की तैयारी में , पर मेरे विचार से मेरे आस पास के लोग प्रेरित होकर आज ये धारणाएं बदलने लगे हैं वो बेटी संतान में विश्वास कर रहे, संतान यदि बेटी हुई तो आगे की सोंच नहीं कर रहे एक बेटी में ही काफी लोग खुश हैं ,अगर ये धारणा नहीं बदलेगा तो बेटा,बेटी की चाहत में कितने बेटियां पैदा होने से पहले ही मारी जाती रहेंगी,और इसकी काफी हद तक जिम्मेवार औरत है .... <br />
मुझे गर्व है की मै एक बेटी की मां हूँ ........डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) http://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-5836145105913549030.post-60832461886887630222010-01-29T08:45:00.000-08:002010-01-31T02:04:31.355-08:00हिंदी का सम्मान हो ........पर आज जैसे ये तो लुप्त होती जा रही है<div style="background-color: white;"><b style="color: black;">हिंदी का सम्मान हो <span style="background-color: #6aa84f;">..</span></b><span style="background-color: #6aa84f;">.....</span><span style="background-color: #6aa84f;">...</span></div>हिंदी हमारी मातृभाषा है,पर आज जैसे ये तो लुप्त होती जा रही है.<br />
हम सभी जानते हैं,और मानते हैं कि हर भाषा का ज्ञान होना अच्छी बात है,हम जितनी भाषाएँ जानेंगे हमारी गौरवगाथा होगी|पर जरा सोंचिये ? विदेशियों ने अपने मातृभाषा को छोड़ हमारी हिंदी को उतनी ही तेज़ी से<br />
अपनाया है क्या ? जितनी तेज़ी से हम अंग्रेजी शब्दों के पीछे पागल हो रहे...........<br />
क्या वे भी हमारे तरह हिंदी के पीछे पागल हैं जैसे हम अपने रोज़ान के बातचीत में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग कर रहे ?<br />
हमें अपनी ही रास्त्रभाषा (हिंदी ) बोलने में ऐसा लगता है जैसे हिंदी में बोलना शर्म आ रही है .......<br />
तभी तो नववर्ष हो तो "हैप्पी न्यू इयर "बोलते हैं...........धन्यवाद, माफ़ करें,शुक्रिया,की जगह<br />
" थैंक्यू,प्लीज़, सॉरी, इत्यादि अभिव्यक्तियों ने ले लिया है.और बातचीत में अपनी पकड़ मजबूती से बना ली है|<br />
आज हम हिंदी जानते हुए भी अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग धड़ल्ले से सुखद एहसास और गर्व के साथ कर रहे.<br />
कुछ लोगों के लिए तो अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग स्टेट्स सिम्बल बन गया है|<br />
दूसरी की मां चाहे कितनी भी खुबसूरत हो,अपनी मां चाहे जितनी भी बदसूरत हो ,<br />
हम दूसरी की माँ को सम्मान तो दे सकते हैं पर, उसकी खूबसूरती पर फ़िदा होकर अपनी माँ को तो कदापि नहीं छोड़ सकते |अपनी हिंदी भी उसी तरह है अंग्रेजी को जानना, और एकदम से अपना लेना ठीक वैसा ही है अपनी माँ की तुलना किया और छोड़ दिया क्योंकि माँ से ज्यादा खुबसूरत दूसरी की माँ है.......... हमें हिंदी को सम्मान देना होगा क्योंकि यह हमारी रास्त्रभाषा है,मातृभाषा है..........आज भी सरकारी कार्यालयों में सारे कार्य हिंदी में ही सम्पन होते हैं.............और ये तभी संभव है जब हम हिंदी का प्रयोग करें.......<br />
केंद्र,राज्य सरकारें कितनी ही आये और हिंदी की सिथिति बेहतर बनाने की वादे किये,पर हिंदी को ये शिखर देने में किसी ने भी इमानदारी से प्रयास नहीं किया|<br />
दूसरी की मां को सम्मान तो दे सकते हैं पर उसकी तुलना में अपनी मां को छोड़ नहीं सकते....<br />
आपसब के विचार जानने को उत्सुक रहूंगी.............<br />
शुक्रिया..........<br />
<br />
BY --------- RAJNI NAYYAR MALHOTRA.... 9:57PMडॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) http://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-5836145105913549030.post-17447639579469748302010-01-26T10:04:00.000-08:002010-01-31T02:00:30.926-08:00क्या है मोहब्बत ? मेरी पहली रचना प्रेम से आरम्भ करती हूँ , क्योंकि प्रेम से सारा संसार रंगीन है.......हर जीवन प्रेम के बिन सूना है.<br />
<div style="background-color: white; color: red;"><br />
</div><b>क्या है मुहब्बत ?</b><br />
यह एक जटिल प्रश्न है,क्योंकि मोहब्बत के अनेको नाम और रूप हैं.हर रूप में मोहब्बत के मायने बदल जाते हैं,कुछ कुछ जो हर किसी के विचार में माने जाते हैं जैसे प्रेम एक प्रेमी और प्रेमिका का...........<br />
मुह्हबत को जहाँ तक मैंने महसूस किया है...........<br />
मोहब्बत आत्मा से आत्मा का खिचाव है,किसी से आपका आत्मिक जुड़ाव ,किसी के प्रति दिल में प्रेम महसूस करना,वो दिल से निकली हुई एक पावन एहसास है,जिसमे सिर्फ दिल का ही जोर चलता है,वो जग की रीत को रस्मों को नहीं मानता, जब मोहब्बत हो जाये तो आपके दिन रात सब बदल जाते हैं.........क्योंकि इसमें एक बेचैनी ,दर्द,शुकून सब कुछ मिलता है........ आपने मोहब्बत को पा लिया तो सारा जग जीत लिया,अगर खो दिया तो सबसे<br />
बड़ी हार क्योंकि......... गिरिधर राठी जी के शब्दों में..................अधूरे प्यार से, असफल प्यार से बड़ी दूसरी कोई यातना नहीं..........<br />
लोग कहते हैं मोहब्बत की नहीं जाती है हो जाती है, मोहब्बत मत करो,पर ये तो किसी के रोकने या कहने से क्या ....<br />
.दिल कब अपने हाथों से निकल जाता आप सोंच भी नहीं पाते,जब आपको किसी के तरफ खिचाव होने लगे,उसकी दूरी सताने लगे,हर पल वो मन में मस्तिस्क में छाने लगे तब जान पाते हो आपको उससे मोहब्बत हो गयी है.........<br />
और आप दिल हार जाते हो....मेरी नज़र में जिस्म का खिचाव न होकर मन से मन का लगाव मन का खिचाव<br />
का नाम मोहब्बत है.......अगर मन को कोई भा गया,तो उसकी हर अच्छाई,बुराई उसकी हर<br />
वस्तु पर आपका अधिकार स्वत है.........क्योंकि तन पर किसी के पहरे हों,वश हों, मन पे तो नहीं...........<br />
मोहब्बत सचमुच एक ऐसी दर्द है जिसकी दवा भी वो खुद ही है.....<br />
पर प्रेम की गहराई को थाहना असंभव है ये वो सागर है जिसकी गहराई को डूब कर ही जाना जा सकता है,इसके उदर में कितने फूल और कितने कांटे हैं कितनी खुशियाँ और कितने आंसू हैं........... जो प्रेम किया हो वो भी इसकी परिभाषा को नहीं बता सकता ,पर हाँ अपने अनुभूतियों को बताया जा सकता है.<br />
मैंने जिस हद तक प्रेम को महसूस किया ....अपने विचार मैंने रखे हैं आगे भी जारी है.........<br />
<b>क्योंकि चाहत सागर से भी गहरा है </b><br />
<div class="para">ये सच है की आप किसी से कितना प्यार करते हैं उसे माप कर नहीं बता सकते.......क्योंकि चाहत सागर से भी गहरा है जिसकी कोई परिमाप नहीं..........विरह कैसा ........तन दूर होता है मन में तो सदा साथ पाते हो .......अपने प्रीतम को......... बस जरुरत है चाहत बिल्कुल सच्ची होनी चाहिए,...........दूरी में भी हर पल पास का ही एह्साह पाओगे.......आगे भी जारी है.....<br />
<b>क्या मुहब्बत एक ही बार की जाती है ?</b><br />
<div class="para">क्या मुहब्बत एक ही बार की जाती है.........मेरे विचार से प्रेम चाहे किसी का भी हो, कभी भी किसी भी मोड़ पर आ सकता है...<br />
लोगों को अक्सर कहते सुना है प्यार एक ही बार किया जाता है,पर मै इससे सहमत नहीं.............<br />
kyonki अगर आप पहले किसी के प्यार को ( <b style="color: black;">वो प्रेम माँ का ,पिता का प्रेमी का भाई का बहन का किसी का भी</b><span style="color: black;"> )किसी कारणवश खो देते हैं,तो उसकी ही यादों के सहारे तब तक जीते रहते हैं</span><br />
चाहे वो यादें कड़वी हों या मीठी, ,पर अचानक कोई आपकी ज़िन्दगी में उस खालीपन को उस अभाव को भरने लगता है..........वो आपको उस बीते पल से भी ज्यादा चाहने लगता है,आपकी भावनाएं इस बात का एहसास खुद करने लगती हैं तो आपको स्वतः उससे प्यार होने लगता है, तो मेरे कहने का आशय है प्यार किसी भी मोड़ पे हो सकता है पर उसी अवस्था में अगर आप पहले प्रेम में असफल हुए हो, किसी को खो चुके हों (<b style="color: black;">कसौटी पर वो खरा न उतरा हो ये जरुरी नहीं</b>,)पर कोई अपने समर्पण भाव से,प्रेम से मन से आपके मन के खालीपन को भरने लगे तो आपका झुकाव खुद बी खुद होने लगता है....<br />
और कोई उस खालीपन को दिल से भरने को तैयार है तो आपका मन खुद ब खुद उसकी तरफ आकर्षित होने लगता है............शायद मेरे विचार से सब लोग सहमत ना हों ..........पर ये भी मैंने महसूस किया है.......आगे भी जारी है .......</div></div><div style="background-color: white; color: black;"><b>सामनेवाला का प्रेम बस एक शारीरिक आकर्षण हो तो उसे प्रेम नहीं कहा जा सकता वो आपके मन से नहीं आपके तन से प्रेम करता हो ,और आप उसे मन से </b></div><div class="para"></div><div class="para">ये कोई जरुरी नहीं की आप जिसे प्रेम करते हों ,वो भी आपको चाहता हो <b><span style="color: #351c75;"><span style="color: black;">सामनेवाला का प्रेम बस एक शारीरिक आकर्षण हो तो उसे प्रेम नहीं कहा जा सकता वो आपके मन से नहीं आपके तन से प्रेम करता हो ,और आप उसे मन से चाहते हों ऐसी</span> </span></b>अवस्था में आपके ज़िन्दगी में कोई और आत्मिक प्रेम से आता हो आपको मन से अपनाता हो तो सवाभाविक है वो इन्सान आपका प्रेम पूजा सबकुछ बन सकता है ,ऐसे सूरत में प्यार एक ही बार किया जाता है जैसी बात कहाँ मायने रखती है...........</div><div class="para"></div><div class="para">ये कोई जरुरी नहीं की आप जिसे प्रेम करते हों ,वो भी आपको चाहता हो,ऐसे सूरत में <br />
प्यार एक ही बार किया जाता है जैसी बात कहाँ मायने रखती है...........<br />
सामनेवाला भी आपको प्रेम करे तो प्यार कहा जाता है..............शारीरिक आकर्षण प्रेम नहीं,भावनात्मक प्रेम खो भी जाये तो <br />
उस प्यार को आजीवन यादों में भी गुजरा जा सकता है.........<br />
पर जहाँ प्रेम एकतरफा हो बस (<span style="color: orange;"><b style="color: black;">सरीर का आकर्षण</b> </span>) तो वहा ये बात रह ही नहीं जाती....<br />
ऐसी सूरत में कोई आपके ज़िन्दगी में भराव लाना चाहे कोई ज़िन्दगी में आना चाहे तो<br />
प्यार बस एक बार ही किया जाता है ........अपने मायने को वही ख़त्म कर देती है...........<br />
मैंने इसी विचार को कहा प्रेम कभी भी हो सकता है, बशर्ते आप पहले प्रेम में असफल हुए हों.........<br />
..शायद मेरे विचार स्वीकार हों .......आगे भी जारी है ....</div><span style="background-color: white;"> </span><b style="background-color: red;"><span style="background-color: white;">मोहब्बत आत्मा से आत्मा का खिचाव है</span></b><br />
<div class="para"> मोहब्बत आत्मा से आत्मा का खिचाव है,किसी से आपका आत्मिक जुड़ाव ,<br />
किसी के प्रति दिल में प्रेम महसूस करना,वो दिल से निकली हुई एक पावन एहसास है,<br />
मैंने मुहब्बत को पावन मन का मन से सम्बन्ध माना . है न कि जिस्म कि भूख को प्रेम का नाम दिया .......<br />
.फिर वो अंतरात्मा का प्रेम न होकर बस एक शारीरिक आकर्षण मात्र रह जायेगा........<br />
और यहाँ पर प्रेम को मैंने सिर्फ प्रेमी और प्रेमिका के प्यार को नहीं दिखाया, है <br />
आत्मिक प्यार कहा है तो आत्मिक प्यार आप अपने भाई,बहन माता पिता किसी से भी कर सकते हो<br />
तो क्या वो सेक्स से जुड़ा प्यार है..हो सकता है आज प्रेमी प्रेमिका का प्यार में सेक्स कि झलक मिलती हो,<br />
पर वो एक शारीरिक आकर्षण हुआ आत्मिक नहीं... हो सकता है फिर मेरे विचार विवादासप्द हों.............. आगे भी जारी है ........<br />
<br />
बहुत से लोगों ने प्रेम को बस एक प्रेमी प्रेमिका के प्यार के रूप में ही देखा.तभी तो प्रेम को वासना का नाम दे दिया है.....ये कोई जरुरी नहीं की कोई आपको बस वासना से ओतप्रोत होकर ही प्रेम करे, आपके सरल स्वभाव से ,आपके व्यक्तित्व से, आपके प्रेम से आपकी बोली की मिठास से आपके त्याग से आपके समर्पण भावना से कोई आपको चाह सकता है. तो क्या वो वासना भरा प्रेम है..........? ये प्रेम किसी पर भी लागू हो सकता है.....माता,पिता के प्रेम में भाई बहन के प्रेम में, पति पत्नि के प्रेम में, प्रेमी प्रेमिका के प्रेम में.........आप कसौटी पर हर बात को परख सकते हैं पर प्रेम को बस भावनाओं से परखा जाता है..........आज भी प्रेम में सच्ची भावना निहित है.........मै जानती हूँ ,मैंने देखा है......कुछलोग इस तथ्य को नहीं मान रहे, आज भी संसार में कुछ लोग हैं जो प्रेम में स्वार्थ न लेकर समर्पण और त्याग से भरे हैं......... आज काफी हद तक लोगों के दिल में स्वार्थ की भावना आ चुके हैं,पर उससे क्या. सभी के साथ तो ऐसा नहीं ...........और स्वार्थ की भावना तो हर काल में रहा कहीं थोड़ा कही ज्यादा. तो क्या प्रेम का स्वरूप बदल गया,क्या लोगों ने प्रेम करना छोड़ दिया.....आपने किसे देखा है प्रेम की राग आलाप करते हुए वो पूरी ज़िन्दगी बीता दिया..........किसी के खोने के बाद का क्या आजीवन आप अपने आपको ये सोंच कर गम में कैद कर लेते हैं मैंने अमुक चीज़ को,अमुक व्यक्ति को खो दिया.....आपके जीवन में क्या फिर खुशियाँ आती ही नहीं आप उसे अपनाते ही नहीं हो.............???<br />
नहीं कुछ दिनों के बाद ये खालीपन एक भराव में बदल जाता है.........आपको एहसास होकर भी एहसास नहीं होता..........क्योंकि आप उस अँधेरे से निकलना ही नहीं चाहते...और जो ज्योति आपके रहो को रोशन करने को तत्पर है उसे चोट पंहुचा रहे होते हो...........मेरी बातों को बखूभी आप समझ जायेंगे ........ अगर हर बातों को सोंचा जाये..</div><div class="para"></div><div class="para">हाँ एक बात मुहब्बत में तय है<span style="background-color: #f3f3f3;"> </span><b style="background-color: white; color: black;"><span style="background-color: red;"><span style="background-color: #f3f3f3;">आप जिसे सच्ची भावना से चाहते हैं तो उस पर अपना सर्वस्व न्योव्छावर की भावना रखते हैं </span></span></b></div><div class="para">तो सर्वस्व में आपका तन,मन धन हर खुशियाँ आ जाती हैं ........<span style="background-color: #f3f3f3; color: black;">.</span><b style="background-color: #f3f3f3; color: black;"><span style="background-color: #f3f3f3;">प्रेम भावना,का त्याग का,सम्मोहन का,आकर्षण का </span>मिश्रण </b><span style="background-color: #f3f3f3; color: black;">है </span><b style="background-color: #f3f3f3; color: black;">इस प्रेम से ही दुनिया रंगीन है ..........</b><span style="background-color: #f3f3f3; color: black;">. </span></div>डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) http://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.com10