चलने का हौसला ,
रुके हुए कदम को,
ख़ुद ब ख़ुद, आगे बढ़ा देता है.
अपनी नाकामी से ,
ना हार कर,
अपनी कमी को ,
सुधारनेवाले ,
जीवन में
जरुर सफल होते है|
रुके हुए कदम को,
ख़ुद ब ख़ुद, आगे बढ़ा देता है.
अपनी नाकामी से ,
ना हार कर,
अपनी कमी को ,
सुधारनेवाले ,
जीवन में
जरुर सफल होते है|
22 comments:
aasha ka sanchar karti kavita...
आशा का संचार करती रचना| धन्यवाद|
hardik aabhar aap dono ko.........net prob. ki vajah se aapke blog par aakar bhi coment nahi de payi ....
आदरणीय रजनी मल्होत्रा जी
आपकी रचना बहुत प्रेरणादायी है .....अच्छा लगा आपके ब्लॉग तक आकर .....आपका आभार
आदरणीय रजनी मल्होत्रा जी
आपका लेखन बहुत सशक्त है ...आगे बढ़ते रहें ...हार्दिक शुभकामनायें
aapko mera hardik aabhar is sneh ke liye ...........
आदरणीय रजनी मल्होत्रा जी
मेरे ब्लॉग पर आकर एक सार्थक टिप्पणी के लिए आपका आभार ...आशा है आपका मार्गदर्शन यूँ ही मिलता रहेगा ...आपका आभार
खूबसूरत सन्देश देती प्यारी रचना !
hardik aabhar minakshi ji aapko bhi ...
आपके ब्लॉग पर आने से पहले चेतावनी मिल रही है कि आपके ब्लॉग पर वयस्क सामग्री है, कृपया सेटिन्ग चेक कर लें।
पढ़ें - बाबा को पुष्पांजलि ... बाबा का ध्यान करे ..सब ठीक हो जायेगा ! मन चंगा तो कठौती में गंगा ! !धन्यवाद..
सही आशावादी द्रष्टिकोण...
आशावादी स्वर की रचना पढकर अच्छा लगता है..आभार
aap sabhi ko hardik aabhar ..........
settings dekh kar thik leti hun....
sukriya jankari ke liye
श्रीमान जी, मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
लीगल सैल से मिले वकील की मैंने अपनी शिकायत उच्चस्तर के अधिकारीयों के पास भेज तो दी हैं. अब बस देखना हैं कि-वो खुद कितने बड़े ईमानदार है और अब मेरी शिकायत उनकी ईमानदारी पर ही एक प्रश्नचिन्ह है
मैंने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर श्री बी.के. गुप्ता जी को एक पत्र कल ही लिखकर भेजा है कि-दोषी को सजा हो और निर्दोष शोषित न हो. दिल्ली पुलिस विभाग में फैली अव्यवस्था मैं सुधार करें
कदम-कदम पर भ्रष्टाचार ने अब मेरी जीने की इच्छा खत्म कर दी है.. माननीय राष्ट्रपति जी मुझे इच्छा मृत्यु प्रदान करके कृतार्थ करें मैंने जो भी कदम उठाया है. वो सब मज़बूरी मैं लिया गया निर्णय है. हो सकता कुछ लोगों को यह पसंद न आये लेकिन जिस पर बीत रही होती हैं उसको ही पता होता है कि किस पीड़ा से गुजर रहा है.
मेरी पत्नी और सुसराल वालों ने महिलाओं के हितों के लिए बनाये कानूनों का दुरपयोग करते हुए मेरे ऊपर फर्जी केस दर्ज करवा दिए..मैंने पत्नी की जो मानसिक यातनाएं भुगती हैं थोड़ी बहुत पूंजी अपने कार्यों के माध्यम जमा की थी.सभी कार्य बंद होने के, बिमारियों की दवाइयों में और केसों की भागदौड़ में खर्च होने के कारण आज स्थिति यह है कि-पत्रकार हूँ इसलिए भीख भी नहीं मांग सकता हूँ और अपना ज़मीर व ईमान बेच नहीं सकता हूँ.
very positive note...
सुन्दर संदेश एवं आत्म विश्वास बढ़ाती रचना...
नेता,कुत्ता और वेश्या
निरंतर अग्रसर रहने के लिए प्रेरित करती सुंदर कविता।
वाह! सुन्दर प्रेरणास्पद प्रस्तुति.
अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईएगा,रजनी जी.
'मेरी बात...' पर कुछ अपनी भी कहियेगा.
प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट 'बहती गंगा' पर आप सादर आमंत्रित हैं।
umeedo aur asha se bhari abhivaykti....
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