बहुत जाग चूका झूठा दंभ , इसे सो जाने दो,
सस्वर क्रांति का आग़ाज़ अब हो जाने दो.
बहुत लुट चूका चैन अमन ,थक गया जीवन
एक नवीन युग आने दो,अब अमन चैन छाने दो. ,
कह रही विगत विभावरी कुछ संदेशा,
आनेवाली रश्मि को ये संदेशा लाने दो .
क्या देखा था मिलकर सपना ऐसे जीर्ण भारत का ?
आगे आओ डट जाओ ,इसे फिरसे तरुणी कहलाने दो .
बहुत जाग चूका झूठा दंभ , इसे सो जाने दो,
सस्वर क्रांति का आग़ाज़ अब हो जाने दो.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
सस्वर क्रांति का आग़ाज़ अब हो जाने दो.
बहुत लुट चूका चैन अमन ,थक गया जीवन
एक नवीन युग आने दो,अब अमन चैन छाने दो. ,
कह रही विगत विभावरी कुछ संदेशा,
आनेवाली रश्मि को ये संदेशा लाने दो .
क्या देखा था मिलकर सपना ऐसे जीर्ण भारत का ?
आगे आओ डट जाओ ,इसे फिरसे तरुणी कहलाने दो .
बहुत जाग चूका झूठा दंभ , इसे सो जाने दो,
सस्वर क्रांति का आग़ाज़ अब हो जाने दो.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
3 comments:
bahut badhiya gazal.. achha likhti hain aap
aabhar .............aapko
कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने.बहुत खूब,बेह्तरीन अभिव्यक्ति
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